
26 नवंबर 2008 का दिन भारतीय इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज है। यह वही दिन है जब सीमा पार से आए आतंकवादियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में निर्दोष और मासूम भारतीयों की लाशें बिछा दीं। सारी मुंबई जब दौड़ रही थी तब वहां होटल ताज से लेकर दूसरी प्रतिष्ठित इमारतों को आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया।
इस हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा भारत आने से खौफ खा रहा है। मुंबई हमले का यह हत्यारा अब डर के साये में है। कुछ दिनों पहले ही इसने भारत प्रत्यर्पण किए जाने से बचने के लिए अमेरिकी अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जहां इसकी अर्जी खारिज कर दी गई। वहीं एक बार फिर यह सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है।
खारिज हो चुकी है पहले की अर्जी
भारत को अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए आतंकी ने अमेरिका की उच्चतम आदालत में मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष एक अनुरोध दायर किया है। इस महीने की शुरुआत में यूएस सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कगन द्वारा उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया गया था जिसके बाद वह फिर सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है।
क्या कहा नई याचिका में
अपने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग करते हुए तहव्वुर राणा ने अपनी याचिका नवीनीकृत किया है। उसकी नई अपील में कहा गया है कि , "याचिकाकर्ता तहव्वुर राणा ने न्यायमूर्ति कगन को पहले संबोधित बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के मुकदमे के लंबित रहने के लिए अपने आपातकालीन आवेदन को नवीनीकृत किया है और अनुरोध किया है कि नवीनीकृत आवेदन को यूएस सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित आदेश के अनुसार मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स को निर्देशित किया जाए।"
ऐसा होता है तो जिंदा नहीं बचेगा
यूएस सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने नए आवेदन में, राणा ने तर्क दिया कि वह कई कारणों से भारत में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त समय तक जीवित नहीं रहेगा। राणा ने एक अपील के माध्यम से कहा, "यदि स्थगन दर्ज नहीं किया जाता है, तो कोई समीक्षा नहीं होगी, और अमेरिकी न्यायालय अधिकार क्षेत्र खो देंगे, और याचिकाकर्ता जल्द ही मर जाएगा।"
- रोहित राय