
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: कई फिल्में अपनी कहानी को लेकर मुद्दा बन जाती है. कभी-कभी तो मुद्दा जल्दी खत्म हो जाता है, लेकिन कभी-कभी मामला बढ़ता ही चला जाता है. फिल्म लगातार चर्चा का विषय बनती चली जाती है. ऐसे ही द केरल स्टोरी भी 5 मई दिन शुक्रवार को रिलीज हुई थी. फिल्म रिलीज से पहले से ही चर्चा में बनी हुई है. फिल्म को लेकर कई तरह के बवाल भी हुए. लेकिन फिल्म फिर भी रिलीज हुई और थियेटरों में अच्छा प्रदर्शन दिखाने में कामयाब भी हुई.
विवादित फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. कई राज्यों ने इसे टैक्स फ्री किया तो कईयों ने बैन कर दिया. बता दें कि ऐसा नहीं है कि किसी फिल्म को लेकर विवाद इस तरह का पहली बार हो रहा हो. इससे पहले कश्मीर फाइल्स और कई अन्य फिल्मों को लेकर भी कुछ इसी तरह का विरोध देखने को मिला था.
धर्मांतरण पर आधारित और राजनीतिक विमर्श को ध्रुवीकृत करने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ इन दिनों विवादों के घेरे में हैं. जम्मू से लेकर तमिलनाडु तक इस फिल्म को लेकर राजनीति हो रही है. कर्नाटक के चुनाव में तो इस फिल्म को बड़ा मुद्दा बनाया गया और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने फिल्म को तीरकमान पर रखकर विपक्ष पर जमकर निशाने साधे.
वहीं एक ओर इस फिल्म को पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की सरकारों ने बैन किया तो एमपी, यूपी और उत्तराखंड ने टैक्स फ्री कर दिया है. वही पश्र्चिम बंगाल और तमिलनाडु में फिल्म के बैन को लेकर द केरल स्टोरी के निर्मताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में फिल्म निर्मताओं ने पश्र्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से फिल्म पर लगाए गए बैन का कारण पूछा है. निर्मताओं ने इस याचिका में पश्र्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है.
निर्माताओं द्वारा दायर की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया है कि, 'फिल्म को देश के बाकी हिस्सों में बिना किसी समस्या के प्रदर्शित किया जा रहा है और इस पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं दिख रहा।'
फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि, "तमिलनाडु में वास्तव में पाबंदी लगाई गई हैक्योकि फिल्मका प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों को धमकाया जा रहा है और उन्होंने इसका प्रदर्शन बंद कर दिया है। पश्चिम बंगाल को लेकर हम अनुरोध करते हैं कि पाबंदी लगाने केआदेश को रद्द किया जाए।’’ वहीं,हीं इस पर फिर पीठ ने कहा, ‘‘हम दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर रहे हैं और वे अपना जवाब बुधवार तक दाखिल कर सकते हैं। हम इस मामले में जल्द से जल्द विचार करेंगे.