
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण के मतदान कल यानी 4 मई से शुरू हो रहे हैं. जिसका चुनावी प्रचार अब खत्म हो गया है. लेकिन नेताओं के शब्द वाण अभी भी जारी है. इस बार ये शब्दवाण चलें हैं सपा मुखिया अखिलेश यादव की तरफ से अखिलेश ने योगी सरकार के मंत्री गोपाल गुप्ता नंदी को कुछ ऐसी बात बोल दी है. जो उनको काफी चुभ सकती है.
यूपी में निकाय चुनाव में 37 जिलों में कल पहले चरण का मतदान होना है. जिसका चुनाव प्रचार अब थम गया है. लेकिन सियासतदारों की बयानबाजी अभी भी जारी है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी के नेता को कुछ ऐसी बात बोल दी है. जो उन्हें काफी चुभ सकती है या यूं कहें तो अखिलेश ने उनके जले पर नमक छिड़क दिया है.
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हम बात कर रहे हैं योगी कैबिनेट में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की. जिनकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से हो रही है. योगी सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री का पद संभाल रहे नंदी इन दिनों पार्टी के फैसलों से नाराज चल रहे है. इसकी दो वजह मानी जा रही हैं. पहली वजह तो ये कि बीजेपी ने इस बार गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता को प्रयागराज से मेयर का प्रत्याशी नहीं बनाया गया है. अभिलाषा पिछले दो बार मेयर पद पर निर्वाचित हो चुकी हैं. लेकिन इस बार उनका टिकट काटकर बीजेपी ने गणेश केसरवानी पर दांव खेल दिया है. जिसके चलते गोपाल नंदी रूठे हुए हैं, और अब उनके इस जख्म पर अखिलेश ने मानों नमक छिड़क दिया है.
दरअसल, अखिलेश ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, नाम बदला जाम नहीं! इलाहाबाद को प्रयागराज कह देने से अगर शहर की व्यवस्था में कुछ सुधार होता तो जनता कुछ सोचती भी, लेकिन शहरी सुविधाओं को लेकर जिस प्रकार जनता में भाजपा के ख़िलाफ़ गुस्सा है. उसको देखते हुए भाजपा ने मेयर का उम्मीदवार ही बदल दिया.
यूं तो अभिलाषा गुप्ता की छवि मेयर के तौर पर विकासवादी नेता की मानी जाती है. लेकिन पार्टी ने इस बार उनका टिकट काट दिया. अब टिकट कटना क्या कम था कि अखिलेश का ट्वीट भी आ गया. जिसके बाद नंदी को बुरा लगना तो लाजमी है.
इसके अलावा पार्टी का एक और फैसला नंदी की नाराजगी की वजह बना हुआ है. दरअसल कुछ ही दिन पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा नेता रईस शुक्ल को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी. जिसका नंदी ने काफी विरोध किया था. विरोध की वजह ये थी कि 2022 के विधानसभा चुनावों में नंद गोपाल नंदी प्रयागराज की दक्षिण सीट से चुनाव लड़े थे. उनके खिलाफ सपा के रईस शुक्ला ने चुनाव लड़ा. जिसमें वे बुरी तरह हारे थे. ऐसे में नंदी उनकी जानकारी के बिना पार्टी द्वारा उठाये गए इस फैसले के विरोध में उतर आये थे. जिसके बाद उन्होंने मामले में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक बात पहुंचा दी थी.
लेकिन अब अखिलेश के ट्वीट ने एक बार फिर मामले को तूल देने का काम कर दिया है, और अगर अखिलेश का ये दांव काम कर गया तो पार्टी के भीतर फूट जरूर पड़ जायेगी. क्योंकि बीते दिन बीजेपी ने पार्टी विरोधी बयानबाजी करने वाले 26 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया था. ऐसे में अगर नंदी को बोल ज्यादा बगावती हुए तो पार्टी को उन पर सख्त एक्शन लेना पड़ सकता है. लेकिन नंदी भी कम माहिर खिलाड़ी नहीं हैं. तीन पार्टियों में पारी खेल चुके नंदी हर कदम को सावधानी और फूंक-फूंककर रख रहे हैं. क्योंकि बीते दिन अतीक के साथ उनके संबंधों पर जो आरोप लगे थे. ऐसे में उनका शांत रहना ही अभी बेहतर समझ रहे हैं.