
ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ा फैसला सामने आया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकसित भारत रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB जी राम जी विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है। इसके लागू होने के बाद अब मनरेगा की जगह ‘जी राम जी’ कानून प्रभाव में आ गया है।
ग्रामीण परिवारों को अब 125 दिन का रोजगार
इस नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल मिलने वाली मजदूरी रोजगार गारंटी 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और गरीब परिवारों की आमदनी को मजबूती मिलेगी। यह फैसला खासतौर पर उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जो मजदूरी पर निर्भर हैं।
संसद में विपक्ष के विरोध के बीच पारित हुआ विधेयक
गुरुवार को संसद में विपक्ष के विरोध के बावजूद जी राम जी विधेयक पारित कर दिया गया। विपक्ष ने मनरेगा की जगह नया कानून लाने और उसमें से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। हालांकि सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया।
शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेस पर हमला
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने गांधी जी के आदर्शों की हत्या की है, जबकि मोदी सरकार ने उन्हें जमीन पर लागू किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय मनरेगा को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया, जबकि मोदी सरकार ने इस योजना को मजबूती से आगे बढ़ाया।
शिवराज सिंह चौहान ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि कांग्रेस शासन में 1660 करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए। मोदी सरकार के दौरान यह संख्या बढ़कर 3210 करोड़ श्रम दिवस हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं की भागीदारी कांग्रेस के समय 48 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 56.73 प्रतिशत हो चुकी है।
क्या है ‘जी राम जी’ कानून?
‘जी राम जी’ कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ विजन से जुड़ा हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रोजगार, आजीविका और कृषि उत्पादकता को मजबूत करना है।
सालाना रोजगार गारंटी 125 दिन
स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा
श्रमिकों की सुरक्षा पर जोर
अलग-अलग योजनाओं का आपसी तालमेल
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश
सरकार का कहना है कि यह कानून ग्रामीण आय सुरक्षा को मजबूत करेगा और गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और कृषि-रोजगार संतुलन पर भी ध्यान दिया जाएगा।
Saurabh Dwivedi


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