
पड़ोसी देश पाकिस्तान में इन दिनों एक ही सवाल गूंज रहा है कि प्रधानमंत्री कौन? और असल में देश चला कौन रहा है? दरअसल, कागज पर तो पीएम शहबाज शरीफ बैठे हैं, लेकिन रिमोट कंट्रोल तो आर्मी चीफ आसिम मुनीर के पास है। उसकी ताकत को लगातार पाक देश में बढ़ा रहे हैं यानी अधिक पावर दिया जा रहा है। हाल ही में उसे फील्ड मार्शल की उपाधि भी दे दी गई यानी अब वह सिर्फ सेना का मुखिया नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के सुपर-बॉस बनते जा रहे हैं।
लेकिन ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जितनी बढ़ी हुई शक्ति, उससे ज्यादा बढ़ा हुआ है डर। आखिर क्यों? क्योंकि पाकिस्तान में विपक्ष और आम जनता इस पूरे खेल को साफ तौर पर समझ चुकी है।
27वें संशोधन पर बवाल
रविवार को देशभर में विपक्षी दलों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए। वजह है- सरकार द्वारा लाया जा रहा 27वाँ संवैधानिक संशोधन। इस बदलाव के तहत सेना प्रमुख को अब और ज्यादा अधिकार देने की तैयारी है। इतना कि सेना प्रमुख केवल सेना नहीं, बल्कि सेना-नौसेना-वायुसेना का एकीकृत सर्वोच्च कमांडर बन जाएगा। ये पद आजीवन सुरक्षा और छूट के साथ आएगा यानी जिंदगीभर कोई जवाबदेही नहीं।
किस बात से डर रहा आसिम मुनीर?
विपक्ष का कहना है कि आसिम मुनीर अपनी कुर्सी और भविष्य को लेकर इतने असुरक्षित हैं कि अपने चारों ओर कानूनी सुरक्षा कवच खड़ा कर रहे हैं। उन्हें डर है कि जितनी आर्थिक बर्बादी, महंगाई और अस्थिरता पाकिस्तान में बढ़ी है, उसका जवाब कहीं उन्हें ना देना पड़ जाए।
इतना ही नहीं, संशोधन में एक फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट बनाने का प्रावधान भी है, जो सुप्रीम कोर्ट की कुछ शक्तियाँ छीन लेगा। यानी न्यायपालिका की आवाज भी धीरे-धीरे म्यूट!
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान को और गहरे राजनीतिक अंधकार में ले जा सकता है। यानी ऊपर से लोकतंत्र, और अंदर से “एक आदमी का राज”।


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