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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक महत्वपूर्ण अध्यादेश को मंजूरी दी है। इस कानून का मकसद है कि देश में जो भी लोग किसी को जबरन उठाकर गायब करते हैं (Forced Disappearance), उन्हें कड़ी सजा दी जाए। इस नए कानून में ऐसे अपराध के लिए मौत की सजा तक रखने का प्रावधान किया गया है।
सरकार का कहना है कि यह कानून देश में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी था। इससे यह सुनिश्चित होगा कि अब किसी को बिना कानूनी प्रक्रिया के पकड़कर गायब नहीं किया जा सकेगा।
किसके खिलाफ होगा इसका इस्तेमाल?
यह कानून ऐसे समय में लाया गया है जब अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, कुछ पूर्व पुलिस अधिकारी, और 15 सेवारत सैन्य अधिकारी मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। आरोप है कि उनके शासनकाल के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए कई लोगों को जबरन उठाया गया, कुछ मार दिए गए और कई आज तक लापता हैं। अब यह नया कानून राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आधिकारिक तौर पर लागू होगा।
जबरन हिरासत केंद्र भी अपराध घोषित
सरकार ने बताया कि यह कानून सिर्फ लोगों के गायब होने को नहीं, बल्कि गुप्त हिरासत केंद्रों, जिन्हें अयनाघर कहा गया, की स्थापना को भी गंभीर अपराध मानता है। साथ ही, अदालतों को आदेश दिया गया है कि इस कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई 120 दिनों (लगभग 4 महीने) के अंदर पूरी की जाए।
शेख हसीना पर क्या आरोप हैं?
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पिछले साल चले बड़े छात्र आंदोलनों को दबाने का आदेश दिया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इस कार्रवाई में 1,400 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। अब अदालत में हसीना के खिलाफ मौत की सजा की मांग की जा रही है।
सेना और सरकार में तनाव
15 सैन्य अधिकारी अभी अदालत की निगरानी में हैं, लेकिन वे अभी भी अपने पदों पर बने हुए हैं। इस वजह से सेना और अंतरिम सरकार के बीच तनाव की स्थिति बताई जा रही है। सेना का कहना है कि कानूनी स्थिति को और स्पष्ट किए जाने की जरूरत है, ताकि यह तय हो सके कि इन अधिकारियों की नौकरी पर क्या असर होगा।
Saurabh Dwivedi



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