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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ की गई कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग तेज हो गई है।
वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि गोड्डा से सांसद दुबे ने हाल ही में तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल और वक्फ बोर्ड से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं, जिससे न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है।
त्रिपाठी से पहले वकील अनस तनवीर ने भी इसी मामले में अटॉर्नी जनरल को पत्र भेजा था। तनवीर का कहना है कि दुबे के बयान न केवल भ्रामक और आधारहीन हैं, बल्कि जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट की साख को नुकसान पहुंचाने के इरादे से दिए गए हैं।
तनवीर ने यह भी कहा है कि ऐसे बयानों से देश की न्यायिक व्यवस्था में लोगों का विश्वास कमजोर हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि दुबे की टिप्पणियों का उद्देश्य न्यायपालिका की निष्पक्षता पर संदेह पैदा करना और सामाजिक वैमनस्य फैलाना है, जो कि 1971 के अवमानना अधिनियम के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है।
पत्र में यह भी दावा किया गया है कि सांसद द्वारा मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ की गई टिप्पणियां न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि उनसे राष्ट्रीय अस्थिरता फैलने का खतरा भी है। इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा पर सीधा हमला बताया गया है।
अब देखना यह होगा कि अटॉर्नी जनरल इन अनुरोधों पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या दुबे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरुआत होती है।
Published By: Divya