
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में आंतरिक मतभेद अब स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आ रहा है, विशेषकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी के बीच। हाल ही में पुणे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एकनाथ शिंदे के बीच हुई बैठक को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, जहां शिंदे ने वित्त विभाग से संबंधित फाइलों की मंजूरी में देरी और फंड आवंटन में पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई है। वित्त विभाग अजित पवार के अधीन है, और शिंदे का आरोप है कि उनकी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों की विकास योजनाओं की फाइलें लंबे समय तक अटकी रहती हैं, जिससे जरूरी प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं।
शिंदे का बयान
अजित पवार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें अमित शाह से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है और यदि शिंदे को कोई आपत्ति होती, तो वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस या उनसे सीधे बात करते। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी को अटकलों के बजाय तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए।
पावर पॉलिटिक्स
इससे पहले, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीन प्रमुख दलों के बीच पावर पॉलिटिक्स में संतुलन बनाए रखने के लिए अधिकारों का समान वितरण सुनिश्चित किया था। 18 मार्च, 2025 को मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वित्त और योजना विभाग की हर फाइल अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से होकर गुजरेगी और फिर अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास भेजी जाएगी।
राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज
इससे पहले रायगढ़ जिले के पालक मंत्री पद पर छिड़ा विवाद अब तक सुलझा नहीं है, जहां एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी के मंत्री और विधायक रायगढ़ पालक मंत्री पद पर दावा ठोक रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायगढ़ किले पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और एनसीपी (अजित पवार) के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय सांसद सुनील तटकरे के घर भोजन करने पहुंचे थे, जिससे राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई थीं। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि महायुति सरकार में आंतरिक समन्वय की कमी और शक्ति संतुलन को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं, जो सरकार की स्थिरता और कार्यक्षमता पर प्रभाव डाल सकते हैं।
Published By: Tulsi Tiwari