
नवरात्रि का पर्व चल रहा है। ऐसे में नवरात्री की अष्टमी का हिन्दू धर्म में एक खास महत्व है। क्योंकि कई भक्त अपने नवरात्रि का व्रत इसी तिथि पर करते हैं। इस दिन महागौरी को समर्पित है। जिन्हें भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में भी पूजा जाता है। इसके अलावा ये दिन कन्या पूजन और हवन पूजन के लिए भी शुभ काफी माना जाता है। इस दिन माता महागौरी की पूजा करने से सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के दौरान कई भक्त कन्या पूजन भी करते है। जिसका एक खास महत्त्व है। मान्यता है कि इससे मां दुर्गा का आशीर्वाद हमेशा भक्तो के ऊपर बना रहता है. नवरात्रि में व्रत रखने वाले भक्त अष्टमी तिथि पर अपना व्रत का समापन करते हैं और कन्या पूजन के साथ व्रत का पारण भी करते हैं.
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कैसे करें कन्या पूजन
नवरात्री में कन्या पूजा के दौरान सबसे पहले आपको कन्याओं का पैर धोने के लिए साफ जल, और कपड़ा, बैठाने के लिए आसन, गाय के गोबर से बने उपले, पूजा की थाली, घी का दीपक, रोली, महावर, कलावा ,चावल, फूल, चुन्नी, फल, मिठाई, हलवा-पूरी और चना, भेंट और उपहार.करें ध्यान रखे कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष तक की ही कन्या होनी चाहिए। तभी वह कन्या देवी समान मानी जाएगी वार्ना देवी माँ नाराज़ भी हो सकती है। फिर इसके बाद कन्या प्यूजा करे, और अपने जीवन में चल रहे हर तरह के दोष को खत्म करे। हर प्रकार की सुख की प्राप्ति करे। कन्या पूजन के साथ एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. जब कन्याएं घर में आए तो माता का जयकारा लगाएं. मान्यता है कि इस विधि से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. पुराणों में बताया गया है की इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इसे नई शुरुआत का पर्व भी माना जाता है. वहीं चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन राम नवमी भी मनाई जाती है, जो श्री राम के जन्म का एक प्रतीक है.