
जब हम हॉलीवुड की साइंस-फिक्शन फिल्में देखते हैं, तो हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर आता है—क्या कोई इंसान वास्तव में अतीत या भविष्य में जा सकता है? क्या टाइम ट्रैवल केवल फिल्मों और किताबों तक ही सीमित है, या फिर विज्ञान इसे हकीकत में बदल सकता है? आइए, इस रहस्य को वैज्ञानिक नजरिए से समझते हैं।
टाइम ट्रैवल का पहला जिक्र
टाइम ट्रैवल की अवधारणा सबसे पहले 1895 में आई, जब मशहूर लेखक एच.जी. वेल्स ने अपनी किताब "द टाइम मशीन" लिखी। इस उपन्यास में एक मशीन के जरिए भविष्य में जाने की कल्पना की गई थी। हालांकि, उस समय यह केवल एक कल्पना थी, लेकिन 20वीं सदी में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता (Relativity) सिद्धांत के जरिए यह बताया कि समय सभी के लिए समान नहीं होता।
क्या कहता है साइंस?
आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार, अगर कोई वस्तु बहुत तेज़ गति (लगभग प्रकाश की गति) से चलती है, तो उसके लिए समय धीमे हो जाता है। यानी, अगर कोई व्यक्ति अंतरिक्ष में प्रकाश की गति के करीब यात्रा करे और वापस लौटे, तो धरती पर कई साल बीत चुके होंगे, जबकि उसके लिए कुछ ही समय बीता होगा। इसे टाइम डाइलेशन (Time Dilation) कहते हैं।
टाइम ट्रैवल का वैज्ञानिक प्रमाण
1971 में वैज्ञानिक जोसेफ हाफेले और रिचर्ड कीटिंग ने Hafele–Keating Experiment किया। उन्होंने चार परमाणु घड़ियों को विमान में रखा और पृथ्वी के चारों ओर उड़ाया। जब वे वापस लौटे, तो पाया कि उन घड़ियों का समय पृथ्वी पर मौजूद घड़ियों से थोड़ा अलग था। यह साबित करता है कि गति का असर समय पर पड़ता है।
क्या हम अतीत में जा सकते हैं?
भविष्य में जाना सैद्धांतिक रूप से संभव है, लेकिन अतीत में जाना बेहद जटिल और शायद असंभव है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्लैक होल या वॉर्महोल (Wormholes) के जरिए अतीत में जाना संभव हो सकता है, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
ये भी पढ़ें: https://tnpnews.in/details.php?id=6585
आपको जानकर हैरानी होगी कि हम सभी हर दिन टाइम ट्रैवल कर रहे हैं—1 सेकंड प्रति सेकंड की गति से! इसके अलावा, नासा के स्पेस टेलीस्कोप जब आकाशगंगाओं को देखते हैं, तो असल में वे अतीत में झांक रहे होते हैं, क्योंकि उन तारों का प्रकाश हम तक लाखों साल बाद पहुंचता है।
क्या टाइम ट्रैवल हमारे रोजमर्रा के जीवन में उपयोगी है?
जी हां! GPS तकनीक टाइम ट्रैवल के विज्ञान पर आधारित है। पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे GPS उपग्रहों की घड़ियां धरती पर मौजूद घड़ियों से थोड़ी अलग चलती हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण और गति के प्रभाव में होती हैं।
क्या टाइम ट्रैवल संभव है?
भविष्य में यात्रा संभव हो सकती है, लेकिन अतीत में लौटने के लिए हमें विज्ञान में और गहरी समझ विकसित करनी होगी। वैज्ञानिक लगातार इस पर शोध कर रहे हैं, और हो सकता है कि एक दिन टाइम मशीन की कल्पना हकीकत बन जाए!
Divya