'लैलतुल-कद्र' या 'शब-ए-कद्र' किसे कहते हैं? जानें इसकी निशानियां

इस समय लैलतुल-कद्र की रातें चल रही है। ऐसे में ये जानना जरुरी है की, ये 'लैलतुल-कद्र' कहते किसे है, और इसकी क्या अहमियत है।

18 April 2023

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नितिन कुमार, नई दिल्ली: रमज़ान (Ramadan) अब खत्म होने वाले है। रमज़ान के दिन मुसलमानों के लिए पवित्र होते है। इन दिनों मुस्लिम लोग रोजे रखते है। और अल्लाह की इबादत करते है। जानकारी की लिए बता दें इस समय लैलतुल-कद्र की रातें चल रही है। ऐसे में ये जानना जरुरी है की, ये 'लैलतुल-कद्र' कहते किसे है, और इसकी क्या अहमियत है।

रमज़ान(Ramadan) के आखिरी दिन

लैलतुल-कद्र की रातें रमज़ान (Ramadan) के आखिरी दिनों में आती है। इन रातों में की गई इबादत सबसे ज्यादा मानी जाती है। बता दें इन रातों में मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगता है। अगर कुरान (Quran) की माने तो ये रात 1 हजार रातों से भी बेहतर होती है। ऐसा माना जाता है कि इन रातों में अल्लाह अपने बंदों से मिलने आते है।

इतना ही नहीं कहा तो ये भी जाता है कि इस रात अल्लाह अपने बंदों की दुआएं सुनने के लिए 7वें आसमान से पहले आसमान पर आ जाते है। यही वजह है की हर मुस्लमान रात भर जागकर इबादत करता है

पांच रातों का उल्लेख

कुरान (Quran) में ऐसी 5 रातों का उल्लेख है, जिन्हें 21वीं शब, 23वीं शब, 25वीं शब, 27वीं शब और 29वीं शब कहते है। लेकिन इस बात का उल्लेख कुरान में भी किया गया कि इन रातों में से वो कौन-सी रात है जो 'शब-ए-कद्र' की है। तो आप भी जानना चाहते है इसकी पूरी जानकारी, तो ये आर्टिकल आपके काम आ सकता है।

लैलतुल-कद्र किसे कहते हैं?

आपको बता दें 'लैलतुल-कद्र' को को 'शब-ए-कद्र' भी कहा जाता है। कहते है इस दिन जमीन पर इतने फरिश्ते उतर आते है की पूरी कायनात फरिश्तों से भर जाती है और वो दुआ करने वाले की हर दुआ पर 'कुबूल है' कहते हैं। हालांकि, कुरान (Quran) में आखिरी 5 रात में से किसी एक रात में लैलतुल कद्र की रात का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

ये रात रमज़ान (Ramadan) के आखिरी दिनों में आती है। इन रातों को इसलिए खास माना जाता है क्योंकि इस दिन जिब्रील अलैहिस्सलाम ने क़ुरान शरीफ की आयत प्यारे पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल हुई थी।

दुआ और मायने

कुरान (Quran) में बताया गया है कि 'शब-ए-कद्र' के दिन कुरान पढ़नी चाहिए साथ ही अपने गुनाहों की माफी भी अल्लाह से मांगनी चाहिए। दुआ करने के लिए हुजूर पाक ने एक दुआ बताई है, 'अल्लाहुम्मा इंनका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फ’अफु अन्नी' इस दुआ का मतलब है कि, ए अल्लाह आप माफ करने वाले है। तू माफ करना पसंद करता है बस तू मुझे माफ कर दे।

लैलतुल-कद्र की निशानियां

कुरान (Quran) में लैलतुल-कद्र की रात को लेकर साफ-साफ तो नहीं बताया गया है, लेकिन कुरान में लैलतुल-कद्र की रात कब है ये जानने के लिए कुछ निशानियां दी गई है। जिससे लोग ये पहचान सके की लैलतुल-कद्र की रात कब है। आइए जानते हैं इन निशानियों के बारे में।

-जब भी रात में ना तो ज्यादा ठंड होगी और न ही ज्यादा गर्मी होगी, मौसम बिल्कुल साफ और खुशनुमा होगा। माना जाता है जिस दिन ये रात होती है उस रात रहमत की बारिश भी हो सकती है।

-जिस दिन की सूरज की रोशनी कम होगी, न ही ये रोशनी आंखों में लगेगी। धूप में रहने से आपको सुकून मिलेगा और सूरज बिल्कुल चांद जैसा लगेगा।

-ये रात बहुत शांत होगी, इस रात इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी बहुत शांत रहते हैं। माना जाता है इस रात कुत्तो के भोंकने की कोई आवाज़ नहीं आती है ऐसा इसलिए क्योंकि सभी फ़रिश्ते जमीन पर आ जाते है।

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