उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पहली बार किसी बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया। वे भोपाल के रवींद्र भवन में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. मनमोहन वैद्य की किताब ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम में पहुँचे।
‘नैरेटिव के चक्रव्यूह से बचें’
अपने भाषण में धनखड़ ने बताया कि कैसे लोग अक्सर “कथाओं और नैरेटिव” में फंस जाते हैं। उन्होंने कहा कि “भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्र में न फंसे, इसमें फंस जाए तो निकलना बहुत मुश्किल है। मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं।” यह सुनकर सभागार में जोरदार ठहाके लगे।
इस्तीफे पर उठे सवालों की पृष्ठभूमि
जुलाई में संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा अचानक था, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार पर कई सवाल उठाए और धनखड़ की लंबे समय तक चुप्पी पर भी टिप्पणी की।
पुस्तक की तारीफ और गहरे संदेश
धनखड़ ने कहा कि उन्होंने यह किताब दो बार पढ़ी है। उन्होंने बताया कि किताब में भारत की विचारधारा, संस्कृति और वैश्विक चुनौतियों पर गहराई से चर्चा है। धनखड़ के मुताबिक, “यह पुस्तक सोए हुए को भी जगा सकती है। यह बताती है कि हमें अपनी विरासत और मूल्यों पर लौटने की जरूरत है।”
नैतिकता और आध्यात्मिकता पर चिंता
उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग नैतिकता, आध्यात्मिकता और बुद्धि से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने तकनीकी बदलाव AI, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और "इन्फॉर्मेशन वार" का भी उल्लेख किया।
इस्तीफा और प्रधानमंत्री की तारीफ
अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के लिए आभार जताया था। उन्होंने लिखा था कि भारत के तेज़ी से बदलते दौर का हिस्सा बनना उनके लिए सम्मान की बात है।
फ्लाइट पकड़ने का मजाक
भाषण खत्म करते समय धनखड़ ने मुस्कुराते हुए कहा कि “मुझे समय का ध्यान रखना होगा... मैं फ्लाइट पकड़ने के कर्तव्य को नहीं छोड़ सकता। मेरा हालिया अतीत इसका प्रमाण है।”
Saurabh Dwivedi

.jpg)


.jpg)


.jpg)


.jpg)
