
दिल्ली में हाल ही में हुए बम धमाकों के मामले में एक बड़ी कार्रवाई हुई है। एनआईए ने कश्मीर के रहने वाले जसीर बिलाल वानी, जिसे दानिश के नाम से भी जाना जाता है उसको श्रीनगर से गिरफ्तार कर लिया गया है। यह वही मामला है जिसमें पिछले सप्ताह दिल्ली में हुए धमाकों में कम से कम 14 लोगों की जान चली गई थी।
ड्रोन और रॉकेट से हमले की तकनीकी मदद का आरोप
एनआईए की शुरुआती जांच के अनुसार, दानिश ने दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार बम धमाके से पहले कई तकनीकी मदद दी थी। जाँच में सामने आया है कि, उसने आतंकियों के लिए ड्रोन में बदलाव (मॉडिफिकेशन) किए, और रॉकेट बनाने की कोशिश की, जिससे यह साफ होता है कि वह हमलों की तैयारी में गहराई से शामिल था।
उमर के साथ मिलकर हमले की साजिश
दानिश जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड क्षेत्र का रहने वाला है। जांच एजेंसी का कहना है कि वह इस हमले का एक सक्रिय सह-साजिशकर्ता था। उसने आतंकी उमर उन नबी (डॉ. उमर) के साथ मिलकर पूरे ऑपरेशन की योजना बनाई थी। डॉ. उमर वही आरोपी है जिसके खिलाफ दिल्ली धमाकों में NIA पहले ही कार्रवाई कर चुकी है।
फिदायीन हमले के लिए तैयार रहने को कहा गया था
सूत्रों का कहना है कि दानिश सिर्फ तकनीकी समर्थन ही नहीं दे रहा था, बल्कि उसने उमर को आत्मघाती (फिदायीन) हमले के लिए तैयार रहने की सलाह भी दी थी। इससे यह साफ है कि दोनों किसी बड़े आतंकी ऑपरेशन की तैयारी कर रहे थे।
कश्मीर की मस्जिद में हुई थी पहली मुलाकात
जांच में यह भी पता चला है कि उमर और दानिश की मुलाकात पहली बार कश्मीर की एक मस्जिद में हुई थी।
वहीं पर डॉ. उमर ने दानिश को अपने आतंकवादी विचारों से प्रभावित किया और कथित तौर पर उसका ब्रेनवॉश किया। इसके बाद दानिश हमले की साजिश में सक्रिय रूप से जुड़ गया।
एनआईए की बड़ी कामयाबी
दानिश की गिरफ्तारी को एनआईए एक बड़ी उपलब्धि मान रही है, क्योंकि वह आतंकी नेटवर्क में तकनीकी और रणनीतिक दोनों स्तरों पर अहम भूमिका निभा रहा था। उसकी पूछताछ से दिल्ली धमाकों और आने वाले संभावित आतंकवादी हमलों के बारे में कई अहम जानकारियाँ मिलने की उम्मीद है।
Saurabh Dwivedi




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