रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की ‘टॉकिंग बुक’ पहल को रूस में अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली सराहना, AI आधारित लाइब्रेरी पर बड़ी योजना

ऐतिहासिक रामपुर रज़ा लाइब्रेरी ने अपने अभिनव दृष्टिकोण और तकनीकी प्रयोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की है। रूसी लाइब्रेरी एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में, संस्था की AI-संचालित 'टॉकिंग बुक' (संवादी पुस्तक) पहल को विशेष रूप से सराहा गया।

10 June 2025

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ऐतिहासिक रामपुर रज़ा लाइब्रेरी ने अपने अभिनव दृष्टिकोण और तकनीकी प्रयोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की है। रूसी लाइब्रेरी एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में, संस्था की AI-संचालित 'टॉकिंग बुक' (संवादी पुस्तक) पहल को विशेष रूप से सराहा गया।

भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए रज़ा लाइब्रेरी ने पेश की डिजिटल भविष्य की झलक

रूस में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम में कई देशों के पुस्तकालय विशेषज्ञों की उपस्थिति में रज़ा लाइब्रेरी की आगामी तकनीकी योजनाओं पर चर्चा की गई। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग को लेकर विशेष संवाद हुआ।

AI-बेस्ड ‘बोलने वाली किताबें’ बनीं चर्चा का केंद्र- डॉ. मिश्रा

डॉ. मिश्रा ने एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत में बताया, “रूस के इस सम्मेलन में भारत को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। मैंने रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की उन पहलों पर प्रकाश डाला, जो भविष्य में संस्थान को डिजिटल और संवादात्मक पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित करेंगी। हमारी 'बोलने वाली किताबें' या 'संवादी पुस्तकों' की अवधारणा को विशेष सराहना मिली।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इन AI-आधारित टॉकिंग बुक्स के ज़रिए छात्र और शोधकर्ता किसी भी विषय से संबंधित प्रश्नों, अवधारणाओं और विचारों पर सीधा संवाद कर सकेंगे। “इस तकनीक के माध्यम से हम पुस्तकालयों को पारंपरिक संरचना से आगे ले जाकर उन्हें संवादात्मक और समावेशी बनाएंगे।

संवादात्मक पुस्तकालयों के क्षेत्र में रज़ा लाइब्रेरी बनेगी वैश्विक पुस्तकालय

डॉ. मिश्रा ने यह भी साझा किया कि सम्मेलन में भाग लेने वाले कई देशों के पुस्तकालय प्रमुखों ने इस पहल को अपनाने में रुचि दिखाई। “विश्व के सभी प्रमुख लाइब्रेरियन्स ने इस विचार को अभिनव और भविष्य-उन्मुख बताया। यह संभव है कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी ‘बोलने वाली किताबों’ को अपनाने वाला पहला वैश्विक पुस्तकालय बन जाए।”

सम्मेलन में पाकिस्तान प्रायोजित धार्मिक आतंकवाद पर भी हुई चर्चा

सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान प्रायोजित धार्मिक आतंकवाद पर भी चर्चा हुई, जिसमें डॉ. मिश्रा ने भारत की ओर से सख्त रुख प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “धार्मिक आतंकवाद पाकिस्तान की उपज है और यह पूरी मानवता के लिए गंभीर खतरा है। भारत और रूस को मिलकर ऐसा विश्व बनाना होगा जो इस मानसिकता से मुक्त हो।"

कश्मीर नहीं, पाकिस्तान की सोच है असली समस्या- डॉ. मिश्रा

डॉ. मिश्रा ने यूक्रेन संकट की तुलना कश्मीर मुद्दे से करते हुए कहा, “कश्मीर कभी समस्या नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान की धार्मिक आतंकी सोच असली समस्या है। ऐसा राज्य जो परमाणु शक्ति से लैस है और आतंकवादियों के हाथों में है, वह संपूर्ण विश्व के लिए खतरा है।”

राजनीतिक मतभेद से परे, अकादमिक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपील- डॉ. मिश्रा

इस वैश्विक सम्मेलन में डॉ. मिश्रा ने यह अपील भी की कि राजनीतिक मतभेदों से इतर, अकादमिक और सांस्कृतिक मंचों पर दुनिया को एकजुट होकर धार्मिक आतंकवाद के खिलाफ प्रयास करना चाहिए। रूसी स्टेट लाइब्रेरी के महानिदेशक श्री वादिम डूडा ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की भूमिका को संकट का कारण स्वीकार किया।

भारत-रूस की साझेदारी से बनेगा शांति और मानवता का वैश्विक मॉडल

डॉ. मिश्रा ने भारत-रूस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत बताते हुए कहा कि दोनों देशों को मानवता की रक्षा के लिए नेतृत्व करना होगा। “मैं श्री डूडा का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने न केवल इस विचार को स्वीकारा, बल्कि इसे वैश्विक विमर्श में शामिल करने की सहमति भी दी।”

 

Published By-Anjali Mishra

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