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ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका की एंट्री के बाद हालात और गंभीर हो गए है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक के बाद ईरान ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल के तेज अवीव में कई इलाकों पर धमाके किए। इन सभी चीजों ने ग्लोबल हालातों को और भी चिंताजनक बना दिया है। वहीं, अब खतरा यह भी है कि कई ईरान दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्गों में से एक स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद ना कर दे।
ईरान के इस कदम से दुनिया के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। बता दें कि इजरायल के साथ जंग के बीच ईरान ने पहले ही होर्मुज जलडमरुमध्य या Strait of Hormuz को बंद करने की चेतावनी दी थी। अगर ईरान सच में यह कदम उठाता है तो कच्चे तेल और एलएनजी (Liquefied Natural Gas) की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि भारत सहित कई देश जलडमरूमध्य रूट के जरिए इराक, सऊदी अरब और यूएई से कच्चा तेल आयात करते हैं।
'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' से 26% तेल व्यापार
होर्मुज जलडमरूमध्य या 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' ओमान और ईरान के बीच लगभग 40 किलोमीटर चौड़ी एक समुद्री पट्टी है, जो एक प्रमुख समुद्री तेल मार्ग भी है। यह एकमात्र मार्ग है जिससे होकर खाड़ी देशों से तेल की सप्लाई होती है। जानकारी के अनुसार मार्ग के जरिये सऊदी अरब (प्रतिदिन लगभग 63 लाख बैरल), यूएई, कुवैत, कतर, इराक (प्रतिदिन लगभग 33 लाख बैरल) और ईरान (प्रतिदिन लगभग 13 लाख बैरल) कच्चे तेल का निर्यात दुनिया के कई देशों में करते हैं।
होर्मुज जलडमरूमध्य पर ईरान का नियंत्रण है। रिपोर्ट्स के अनुसार वैश्विक एलएनजी व्यापार का लगभग 26 प्रतिशत इस मार्ग के जरिए होता है। अगर ईरान इस मार्ग को बंद करता है तो इसका असर अमेरिका और तमाम यूरोपीय देशों के साथ-साथ भारत पर भी साफ देखने को मिल सकता है। एक और रिपोर्ट के अनुसार 2022 की शुरुआत और पिछले महीने के बीच, जलडमरूमध्य से प्रतिदिन लगभग 17.8 मिलियन से 20.8 मिलियन बैरल कंडेनसेट, कच्चा तेल और ईंधन प्रवाहित हुआ है।
तेल बाजारों में मच सकती है खलबली
होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक क्रूड ऑयल के व्यापार में एक बहुत अहम किरदार निभाता है। इस रूट में किसी भी बाधा या रुकावट से वैश्विक तेल बाजारों में खलबली मच सकती है और इनकी किमतों में जोरदार इजाफा देखने को मिल सकता है। बीते दिनों मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष से पहले ही वैश्विक बाजार के कई क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं और अभी उम्मीद है कि स्थिती और बेकार हो सकती है। ऐसे में होर्मुज जलडमरूमध्य का बाधित होना कई देशों के लिए नुकसानदायक होगा।
भारत में बढ़ेगी महंगाई!
भारत में हर रोज लगभग 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है, जिसका लगभग 80 फीसदी आयात किया जाता है और 40 फीसदी आयात केवल खाड़ी देशों से होता है। ऐसे में अगर इसके आयात में किसी भी तरह की बाधा आती है तो भारत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। बता दें कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां Crude Price, फ्रेट चार्ज और रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर ही पेट्रोल-डीजल के दाम तय करती हैं। इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट और जरूरी सामानों की कीमतों में भी इजाफा होगा।
-Shraddha Mishra